बिहार से दिल्ली आकर पंकज ने अपने पिता के साथ सब्जियां बेची ताकि घर खर्च चल सके, IAS बनने के सपने को भी छोड़ दिया क्योंकि उनके आर्थिक हालात कमजोर ...
हम जब अपने घरों की चारदीवारी में कंबल के अंदर बैठकर सर्दी के मज़े लेते हैं; तब सड़कों पर रहने को मजबूर ये बेज़ुबान सर्दीं से कई बार अपनी जान ...
दिव्यांग होने की वजह से 25 साल के शुभम जोशी को नौकरी नहीं मिल पा रही थी। कहीं नौकरी मिलती तो लोग उन्हें सैलरी नहीं देते थे। इन मुश्किलों में ...
अनमोल इंडियंस आविष्कार गार्डनगिरी घर हो तो ऐसा सीनियर सिटिज़न ...
“लड़के नहीं नाचते” लोग हमसे कहते रहे! पर मैंने और मेरे बेटे ने तानों पर नहीं, गानों पर ध्यान दिया और हर एक ताल के साथ रुढियों को तोड़ते रहे!
आपके घर के किसी न किसी संदूक में यादों का पिटारा होगा और उसमें होंगे आपके बच्चे के पुराने छोटे-छोटे कपड़े! इन कपड़ों को ना हम फ़ेंक सकते हैं ना ...
भोपाल और इसके आस-पास की 60 आंगनवाड़ी के सैकड़ों बच्चों के लिए एक मकैनिक का स्कूटर है चलता फिरता स्कूल। चलिए जानें कैसे और ...
“पैसा तो हम सभी कमा रहे लेकिन मैं एक ऐसी कमाई या ऐसी विरासत बनाना चाहता था जिसका फायदा लम्बे समय तक मेरे बच्चों के साथ-साथ कई लोगों को ...
खेती की जमीन बेच दी, दिन-रात मेहनत की, ताकि बेटा एक दिन बड़ा क्रिकेटर बन सके। पिता ने जो सपना देखा, वैभव ने उसे सच कर दिखाया! अब बिहार का ...